रुक जाना नहीं - Ruk Jana Nahi Lyrics from Imtihan

फिल्म / एल्बम : इम्तिहान (1974)
संगीत दिया है: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
गीत के बोल: मजरूह सुल्तानपुरी
गायक: किशोर कुमार



रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
काँटों पे चल के मिलेंगे साये बहार के
ओ राही, ओ राही (2)

नैन आंसू जो लिये हैं
ये राहों के दिये हैं (2)

लोगों को उनका सब कुछ देके
तू तो चला था सपने ही लेके
कोई नहीं तो तेरे अपने हैं सपने ये प्यार के

सूरज देख रुक गया हैं
तेरे आगे झुक गया हैं (2)

जब कभी ऐसे कोई मस्ताना
निकले हैं अपनी धून में दीवाना
शाम सुहानी बन जाते हैं दिन इंतजार के

ओ राही ओ राही (2)

रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
काँटों पे चल के मिलेंगे साये बहार के

ओ राही ओ राही (2)

साथी ना कारवाँ हैं
ये तेरा इम्तिहान हैं
यूं ही चला चल दिल के सहारे
करती हैं मंजिल तुझ को इशारे
देख कही कोई रोक नहीं ले
तूझ को पुकार के..

रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
काँटों पे चल के मिलेंगे साये बहार के

ओ राही ओ राही (2)

नैन आंसू जो लिये हैं
ये राहों के दिये हैं (2)

लोगों को उनका सब कुछ देके
तू तो चला था सपने ही लेके
कोई नहीं तो तेरे अपने हैं सपने ये प्यार के

ओ राही ओ राही (2)

रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
काँटों पे चल के मिलेंगे साये बहार के

ओ राही ओ राही (2)

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