एक ही ‘‘ थीम’’ पर कई फिल्में बनाईं

नासिर हुसैन का फिल्मी सफर ए आर कारदार के साथ शुरू हुआ और वह फिल्मिस्तान के साथ बतौर लेखक जुड़ गए। यहाँ उन्होंने ‘‘ अनारकली’’, ‘‘ मुनीमजी’’ ‘‘पेइंग गेस्ट’’ फिल्में लिखीं, जिन्हें दर्शकों ने खूब पसंद किया।
तीन फरवरी 1931 को पैदा हुए नासिर हुसैन की बतौर निर्देशक पहली फिल्म‘‘तुमसा नहीं देखा’’थी। इस फिल्म से हिंदी फिल्मी जगत को शम्मी कपूर के रूप में नया नायक मिला जिन्होंने नायक की पारंपरिक छवि को दरकिनार कर दिया। इसके संगीतकार ओपी नैयर ने मोहम्मद रफी और आशा भोंसले की आवाजों का बेहतरीन इस्तेमाल किया और इसके गीत बेहद कामयाब हुए। इसके बाद नासिर हुसैन और शम्मी कपूर एक बार फिर‘‘दिल देके देखो’’में साथ हुए जो आषा पारेख की पहली फिल्म थी। इस फिल्म से आशा पारेख और नासिर हुसैन का जो साथ शुरू हुआ वह कई फिल्मों तक जारी रहा। इस दौरान उन्होंने‘‘जब प्यार किसी से होता है’’, ‘‘ फिर वही दिल लाया हूँ’’, ‘‘तीसरी मंजिल’’, ‘बहारों के सपने’’, ‘‘ प्यार का मौसम’’, ‘‘ कारवाँ’’ जैसी फिल्में बनाईं। उनकी फिल्मों में दिलचस्प बात यह भी थी कि उन्होंने एक ही ‘‘ थीम’’ पर कई फिल्में बनाईं और वे दर्शकों को पसंद आती रहीं। हालाँकि नासिर हुसैन ने अपनी सभी फिल्मों में संगीत, गीतों के फिल्मांकन, संवाद और कथा प्रवाह पर विशेष ध्यान दिया। नासिर हुसैन की फिल्मों में सभी संगीतकारों ने अपना श्रेष्ठ संगीत दिया। ‘‘तुमसा नहीं देखा’’ में जहाँ ओपी नैयर बेहतरीन लय में थे, वहीं शंकर जयकिशन ने ‘‘जब प्यार किसी से होता है’’ में बेहतरीन संगीत दिया। उषा खन्ना ने भी ‘‘दिल देके देखो’’ में कर्णप्रिय संगीत दिया। बाद में उनकी फिल्मों में राहुल देव बर्मन नियमित संगीतकार हो गए। दोनों का साथ ‘‘तीसरी मंजिल’’ से शुरू हुआ और करीब दो दषक तक जारी रहा। इस दौरान ‘‘बहारों के सपने’’, ‘‘प्यार का मौसम’’, ‘‘कारवाँ’’, ‘‘हम किसी से कम नहीं’’, ‘‘जमाने को दिखाना है’’ आदि फिल्मों में पंचम का बेहतरीन संगीत था। ‘‘तीसरी मंजिल’’ उनकी लीक से हटकर फिल्म थी। विजय आनंद निर्देशत इस फिल्म की कहानी जहाँ दर्शकों को अंत तक बाँध कर रखती है वहीं आरडी बर्मन के संगीत ने युवाओं को मचलने पर मजबूर कर दिया। बाद के दिनों में नासिर हुसैन ने फिल्मों का निर्देशन बंद कर दिया और इसकी जिम्मेदारी अपने पुत्र को सौंप दी। लेकिन वह फिल्मों से जुड़े रहे। विशेष फिल्मफेयर सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित नासिर हुसैन का 13 मार्च 2002 को निधन हो गया।
तीन फरवरी 1931 को पैदा हुए नासिर हुसैन की बतौर निर्देशक पहली फिल्म‘‘तुमसा नहीं देखा’’थी। इस फिल्म से हिंदी फिल्मी जगत को शम्मी कपूर के रूप में नया नायक मिला जिन्होंने नायक की पारंपरिक छवि को दरकिनार कर दिया। इसके संगीतकार ओपी नैयर ने मोहम्मद रफी और आशा भोंसले की आवाजों का बेहतरीन इस्तेमाल किया और इसके गीत बेहद कामयाब हुए। इसके बाद नासिर हुसैन और शम्मी कपूर एक बार फिर‘‘दिल देके देखो’’में साथ हुए जो आषा पारेख की पहली फिल्म थी। इस फिल्म से आशा पारेख और नासिर हुसैन का जो साथ शुरू हुआ वह कई फिल्मों तक जारी रहा। इस दौरान उन्होंने‘‘जब प्यार किसी से होता है’’, ‘‘ फिर वही दिल लाया हूँ’’, ‘‘तीसरी मंजिल’’, ‘बहारों के सपने’’, ‘‘ प्यार का मौसम’’, ‘‘ कारवाँ’’ जैसी फिल्में बनाईं। उनकी फिल्मों में दिलचस्प बात यह भी थी कि उन्होंने एक ही ‘‘ थीम’’ पर कई फिल्में बनाईं और वे दर्शकों को पसंद आती रहीं। हालाँकि नासिर हुसैन ने अपनी सभी फिल्मों में संगीत, गीतों के फिल्मांकन, संवाद और कथा प्रवाह पर विशेष ध्यान दिया। नासिर हुसैन की फिल्मों में सभी संगीतकारों ने अपना श्रेष्ठ संगीत दिया। ‘‘तुमसा नहीं देखा’’ में जहाँ ओपी नैयर बेहतरीन लय में थे, वहीं शंकर जयकिशन ने ‘‘जब प्यार किसी से होता है’’ में बेहतरीन संगीत दिया। उषा खन्ना ने भी ‘‘दिल देके देखो’’ में कर्णप्रिय संगीत दिया। बाद में उनकी फिल्मों में राहुल देव बर्मन नियमित संगीतकार हो गए। दोनों का साथ ‘‘तीसरी मंजिल’’ से शुरू हुआ और करीब दो दषक तक जारी रहा। इस दौरान ‘‘बहारों के सपने’’, ‘‘प्यार का मौसम’’, ‘‘कारवाँ’’, ‘‘हम किसी से कम नहीं’’, ‘‘जमाने को दिखाना है’’ आदि फिल्मों में पंचम का बेहतरीन संगीत था। ‘‘तीसरी मंजिल’’ उनकी लीक से हटकर फिल्म थी। विजय आनंद निर्देशत इस फिल्म की कहानी जहाँ दर्शकों को अंत तक बाँध कर रखती है वहीं आरडी बर्मन के संगीत ने युवाओं को मचलने पर मजबूर कर दिया। बाद के दिनों में नासिर हुसैन ने फिल्मों का निर्देशन बंद कर दिया और इसकी जिम्मेदारी अपने पुत्र को सौंप दी। लेकिन वह फिल्मों से जुड़े रहे। विशेष फिल्मफेयर सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित नासिर हुसैन का 13 मार्च 2002 को निधन हो गया।
Comments
Post a Comment