प्यार मोहब्बत में नोक झोंक तो होती ही है. फिल्म लीडर
से एक रफ़ी का गाया गीत सुनते हैं. शकील बदायूनीं के
गीत की तर्ज़ बनाई है नौशाद ने.

जैसे प्यार मोहब्बत में सब जायज है वैसे ही हिंदी फ़िल्मी
गीतों की पंक्तियों में भी सब कुछ जायज है. अब कोई दूसरी
पंक्ति के शब्द ‘कर’ को ‘पर’ लिख दे तो इसका अर्थ कोई
सुपर-ज्ञानी ही समझ सकता है.

उधर तुमने तीर-ए-नज़र दिल पे मारा
इधर हमने भी जान कर चोट खाई



गीत के बोल:

हमीं से मुहब्बत हमीं से लड़ाई
हमीं से मुहब्बत हमीं से लड़ाई
अरे मार डाला दुहाई दुहाई
अरे मार डाला दुहाई दुहाई
अभी नासमझ हो उठाओ न खंजर
अभी नासमझ हो उठाओ न खंजर
कहीं मुड़ न जाये तुम्हारी कलाई
अरे मार डाला दुहाई दुहाई

सितम आज मुझ पर जो तुम ढा रही हो
बड़ी खूबसूरत नज़र आ रही हो
ये जी चाहता है के खुद जान दे दूँ
ये जी चाहता है के खुद जान दे दूँ
मुहब्बत में आये न तुम पर बुराई
अरे मार डाला दुहाई दुहाई

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