"दो आँखे बारह हाथ" पहली बॉलीवुड फिल्म थी जिसे गोल्डन ग्लोब अवार्ड मिला 

भारत में जहाँ एक ओर आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही थी वहीँ दूसरी ओर इंडियन फिल्म इंडस्ट्री भी एक नए दौर से गुजर रहा था. उस वक़्त एक ऐसे निर्देशक थे जिन्होंने हिंदी सिनेमा को नयी पहचान दिलाई. ऐसी ही महान निर्देशक, निर्माता और एक्टर का नाम हैं वी. शांताराम.

उनकी सबसे बहुचर्चित फिल्म का नाम है 'दो आंखें बारह हाथ' जो की जो 1957 में प्रदर्शित हुई. ये फिल्म एक ऐसी जेलर की कहानी है जिसने 6 कैदियों को अलग अलग तरीके से सुधारता है. ये फिल्म जानी जाती है अपनी अलग कहानी, अलग पृष्ठ्भूमि जिसके चलते यह आज भी लोगोंकी सबसे पसंदीदा फिल्म बानी हुई है.

'दो आंखें बारह हाथ' पहली ऐसी बॉलीवुड फिल्म थी जिसे गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड मिला था. रोचक बात तोह यह है की शाहरुख खान ने अपने बेटे आर्यन को एक्टिंग सीखने के लिए भी यही फिल्म देखने को कहा था.इस फिल्म को कई अन्य अवार्ड्स से नवाजा गया है. इस फिल्म को राष्ट्रपति का स्वर्ण पदक सम्मान दिया गया था.

इसी के साथ ही इसने बर्लिन फिल्म महोत्सव में सिल्वर बियर सहित कई और विदेशी पुरस्कार जीता. शांताराम का मानना था की फिल्में मसाला और कमाई के काफी आगे है. उन्होंने ने समान को संदेश देने वाली मूवीज पर ज़्यादा जोर दिया था.

उन्हें इस बात का एहसास था कि फिल्में सिर्फ दर्शकों के मनोरंजन और मसाला के लिए नहीं है बल्कि फिल्म्स देश और समाज को सुधारने का काम भी कर सकती हैं. इसीलिए उनकी फिल्मों में अक्सर एक सोशल मैसेज होता ही था.

 बतौर निर्देशक शांताराम ने अपने स्टूडियो में कई नई-नई किस्म के मशीनों का उपयोग किया, यही कारन है कि पहली मूविंग शॉट बनाने का श्रेय भी उन्हें ही दिया जाता है.

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