हास्य और भावनाओं से भरी इस फिल्म में कलाकारों के उत्कृष्ट अभिनय प्रदर्शन के साथ साथ चुटीले संवादों की भरमार है| गुलज़ार ने हास्य-व्यंग्य और भावनाओं से भरे तीनों किस्म के संवादों में श्रेष्ठता दर्शाई है|
हास्य महीन स्तर पर कातता हुआ दर्शक के समक्ष आता है| एक द्रश्य है जिसमें शिवनाथ के पास उनका बड़ा बेटा रामनाथ आता है| रामनाथ का घर का नाम मुन्ना है जो अपने आप में ही हास्य उत्पन्न करता है क्योंकि रामनाथ नौकरी से अवकाश ग्रहण करने की आयु में हैं|
शिवनाथ – मुन्ना, सालों से कह रहा हूँ, कि सुबह जल्दी उठने की आदत डाल लो|
रामनाथ – कोशिश कर रहा हूँ बाबू जी, पड़ जायेगी आदत|
यह संभवतः पहली फिल्म होगी जिसमें ए.के. हंगलने हास्य भूमिका को बेहतर ढंग से निभा सकने की काबिलियत प्रदर्शित की|
अमिताभ बच्चन की कमेंटरी से शुरू होने वाली, कैफ़ी आज़मी के गीतों से और मदन मोहन के संगीत से सजी, हृषिकेश मुकर्जी के कुशल निर्देशन में गढी गई यह फिल्म भी राजेश खन्ना की चंद कालजयी फिल्मों में से एक है| नाटकीय अंदाज में और अपने आकर्षक व्यवहार से अपने इर्दगिर्द के लोगों के दिल जीतने वाले की भूमिका में राजेश खन्नाका कोई सानी नहीं| उनकी दो अन्य फ़िल्में आनंदऔर नमकहराम भी इस कथन के समर्थन में मजबूत गवाही प्रस्तुत करती हैं|
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