इस टीवी सीरियल के कारण लग जाता था भारत में कर्फ्यू


रामानंद सागर वो नाम है जो भारत के हर रहिवासी के जुबान पर है. रामायण जैसा इतिहासिक सीरियल बनाकर वो आज भी लोगों के दिलों में राज करते है. रामानंद सागार का जन्म 29 दिसंबर 1917 पाकिस्तान के लाहौर में हुआ था. उनका असली नाम चंद्रमौली चोपड़ा था. 
बंटवारे के बाद उनका परिवार भारत में ही बस गया. जिसके बाद मुंबई पहुंचकर उन्होंने बतौर राइटर अपने करियर की शुरुआत की. उन्होंने कहानी और और स्क्रीनप्ले लिखने की भी शुरुआत की. जिसके बाद 1950 में सागर आर्ट कॉरपोरेशन नाम से एक प्रोडक्शन कंपनी शुरू की. इस बैनर तले 25 जनवरी 1987 को रामायण का पहला एपिसोड प्रसारित हुआ. 
इस सीरियल ने आते ही भारत में तहलका मचा दिया. देश के हर घर में सिर्फ इस सीरियल की चर्चा थी. रामायण सीरियल 31 जुलाई 1988 तक चलता रहा. दूरदर्शन चैनल पर ये सीरियल रविवार सुबह 45 मिनट तक आता था जबकि उस दौर में बाकी अन्य सीरियल को 30 मिनट का ही टाइम स्लॉट अलॉटेड था. उस वक़्त का नज़ारा ऐसा था की जब 45 मिनट वाला ये सीरियल टीवी चैनल्स पर प्रसारित होता था तोह देश के हर सड़कों और गलियों में मानो कर्फ्यू जैसा सन्नाटा  हो गया हो. आज के दौर भला कोई इस बात की कल्पना भी कर सकता है क्या.
ऐसा माना जाता है है की उस वक़्त इस सीरियल को करीब 10 करोड़ लोग देखते थे. राम-सीता के किरदार को निभाने वाले अरुण गोविल और दीपिका चिकलिया को लोग भगवान की तरह पूजने लगे थे. यहाँ तक की सीरियल के बहार भी उन्हें इसी तरह का आचरण रखने को कहा गया था. रामानंद सागर के बहुचर्चित सीरियल को दुनिया में सबसे ज्यादा देखे जाने वाले माइथीकॉलोजिकल सीरियल के तौर पर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जगह बनाई

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