गोपालदास परमानंद सिप्पी (14 सितंबर 1915 – 25 दिसम्बर 2007) हैदराबाद, सिंध में पैदा हुए भारतीय हिन्दी फ़िल्मों के निर्माता और निर्देशक थे। वह सीता और गीता (1972), शान (1980), सागर (1985), राजू बन गया जेंटलमैन और उनकी अमर कृति (उनके बेटे रमेश सिप्पी के साथ) शोले जैसी कई लोकप्रिय बॉलीवुड ब्लॉकबस्टर बनाने के लिए जाने जाते हैं।
गोपालदास प्रेमचंद सिप्पी, शायद ही कोई यह नाम जानता होगा, लेकिन यह वही नाम था जिसने फिल्मी परदे पर जय-वीरू, ठाकुर, बसंती जैसे यादगार चरित्रों को हमेशा-हमेशा के लिए अमर कर दिया।
कालीन और कंस्ट्रक्शन का काम करने वाले इस शख्स ने कभी स्वप्न में भी नहीं सोचा होगा कि इमारतें बनाते-बनाते वो एक दिन फिल्म बनाने लगेगा और पूरा बॉलीवुड उसे जी.पी. सिप्पी के नाम से जानने लगेगा।
' शोले' के बाद घर-घर में मशहूर होने वाला बॉलीवुड का यह मशहूर निर्माता-निर्देशक आज हमारे बीच नहीं है। 93 वर्षीय सिप्पी का 25 दिसंबर को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। वे पिछले कुछ महीनों से बढ़ती उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे।
एक अमीर सिंधी घराने में जन्मे सिप्पी ने 1951 में फिल्म 'सजा' के साथ अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की। पचास और साठ का दशक सिप्पी के लिए संघर्ष का समय था।
सिप्पी ने इस दौर में श्रीमती 420, चन्द्रकांत लाइट हाउस, भाई-बहन और अंदाज जैसी फिल्मों का निर्माण किया, लेकिन सिप्पी को वो सफलता नही मिल पाई, जिसका ख्वाब वे हर दिन देखा करते थे।
15 अगस्त 1975 के शुक्रवार ने सिप्पी की सफलता के तमाम दरवाजे खोल दिए। उस दिन भारतीय इतिहास की सफलतम फिल्म 'शोले' सिनेमाघरो में रिलीज हुई, जिसका निर्माण जीपी सिप्पी ने ने किया था। इस फिल्म ने ऐतिहासिक सफलता हासिल की।
इस फिल्म को लोगों ने खूब सराहा। बीबीसी इंडिया के वर्ष 1999 के इंटरनेट पोल पर इस फिल्म को ' फिल्म ऑफ द मिलेनियम' से नवाजा गया।
फिल्म के चरित्रों के नाम और डॉयलॉग आज भी हर किसी की जुबान पर हैं। खुद सिप्पी के अनुसार इस फिल्म को देखने वाले लोग भारत की आबादी के बराबर थे।
सिप्पी ने बतौर निर्माता कई फिल्मों का निर्माण किया। उनकी फिल्मों में हँसना-रोना, दोस्ती-नफरत, प्यार-मोहब्बत की झलक देखने को मिलती है। सिप्पी सत्तर-अस्सी और नब्बे के दशक में फिल्म एंड टीवी प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रहे।
32 साल बाद सिप्पी के 'शोले' को रामगोपाल वर्मा ने फिर से दोहराने का प्रयास किया, लेकिन उस आग में खुद रामगोपाल वर्मा के हाथ ही जल गए। फिल्म न केवल फ्लाप रही, बल्कि दर्शक उस फिल्म को मध्यांतर से पहले ही छोड़कर अपने-अपने घर लौट गए।
सुनने में आया है कि फिल्म निर्देशक प्रीतीश नंदी ने सिप्पी की फिल्म 'शोले' के राइट्स 110 मिलीयन डॉलर यानी साढ़े चार अरब रुपए में खरीदे हैं और वे भविष्य में 'शोले' का रीमेक बनाने जा रहे हैं।
गोपालदास प्रेमचंद सिप्पी, शायद ही कोई यह नाम जानता होगा, लेकिन यह वही नाम था जिसने फिल्मी परदे पर जय-वीरू, ठाकुर, बसंती जैसे यादगार चरित्रों को हमेशा-हमेशा के लिए अमर कर दिया।
कालीन और कंस्ट्रक्शन का काम करने वाले इस शख्स ने कभी स्वप्न में भी नहीं सोचा होगा कि इमारतें बनाते-बनाते वो एक दिन फिल्म बनाने लगेगा और पूरा बॉलीवुड उसे जी.पी. सिप्पी के नाम से जानने लगेगा।
' शोले' के बाद घर-घर में मशहूर होने वाला बॉलीवुड का यह मशहूर निर्माता-निर्देशक आज हमारे बीच नहीं है। 93 वर्षीय सिप्पी का 25 दिसंबर को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। वे पिछले कुछ महीनों से बढ़ती उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे।
एक अमीर सिंधी घराने में जन्मे सिप्पी ने 1951 में फिल्म 'सजा' के साथ अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की। पचास और साठ का दशक सिप्पी के लिए संघर्ष का समय था।
सिप्पी ने इस दौर में श्रीमती 420, चन्द्रकांत लाइट हाउस, भाई-बहन और अंदाज जैसी फिल्मों का निर्माण किया, लेकिन सिप्पी को वो सफलता नही मिल पाई, जिसका ख्वाब वे हर दिन देखा करते थे।
15 अगस्त 1975 के शुक्रवार ने सिप्पी की सफलता के तमाम दरवाजे खोल दिए। उस दिन भारतीय इतिहास की सफलतम फिल्म 'शोले' सिनेमाघरो में रिलीज हुई, जिसका निर्माण जीपी सिप्पी ने ने किया था। इस फिल्म ने ऐतिहासिक सफलता हासिल की।
इस फिल्म को लोगों ने खूब सराहा। बीबीसी इंडिया के वर्ष 1999 के इंटरनेट पोल पर इस फिल्म को ' फिल्म ऑफ द मिलेनियम' से नवाजा गया।
फिल्म के चरित्रों के नाम और डॉयलॉग आज भी हर किसी की जुबान पर हैं। खुद सिप्पी के अनुसार इस फिल्म को देखने वाले लोग भारत की आबादी के बराबर थे।
सिप्पी ने बतौर निर्माता कई फिल्मों का निर्माण किया। उनकी फिल्मों में हँसना-रोना, दोस्ती-नफरत, प्यार-मोहब्बत की झलक देखने को मिलती है। सिप्पी सत्तर-अस्सी और नब्बे के दशक में फिल्म एंड टीवी प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रहे।
32 साल बाद सिप्पी के 'शोले' को रामगोपाल वर्मा ने फिर से दोहराने का प्रयास किया, लेकिन उस आग में खुद रामगोपाल वर्मा के हाथ ही जल गए। फिल्म न केवल फ्लाप रही, बल्कि दर्शक उस फिल्म को मध्यांतर से पहले ही छोड़कर अपने-अपने घर लौट गए।
सुनने में आया है कि फिल्म निर्देशक प्रीतीश नंदी ने सिप्पी की फिल्म 'शोले' के राइट्स 110 मिलीयन डॉलर यानी साढ़े चार अरब रुपए में खरीदे हैं और वे भविष्य में 'शोले' का रीमेक बनाने जा रहे हैं।
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